मुक्ति की आकांक्षा - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना चिड़िया को लाख समझाओ कि पिंजड़े के बाहर धर…
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है - हरिवंशराय बच्चन कल्पना के हाथ से कमनीय जो मं…
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है तूफ़ानों से लड़…
खीचों राम-राज्य लाने को, भू-मंडल पर त्रेता गिनो न मेरी श्वास, छुए क्यों मुझे विपु…
सूर्य ढलता ही नहीं है - रामदरश मिश्र चाहता हूँ, कुछ लिखूँ, पर कुछ निकलता ही नहीं है …
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार - शिवमंगल सिंह सुमन तूफानों की ओर घुमा दो नावि…
बहुत दिनों के बाद - हरिओम पंवार बहुत दिनों के बाद छिड़ी है वीणा की झंकार अभय बहुत दिनो…